‘संसद में झूठ दोहरा रहे’, अखिलेश, प्रियंका से शशि थरूर तक… PM मोदी के भाषण पर भड़का विपक्ष
संसद में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. प्रियंका ने कहा, मुझे लगता है की प्रधानमंत्री मोदी जनता से और जनता की जरूरतों से कट चुके हैं, आज के भाषण से मुझे यही लगा.
उधर, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, हमारी राजनीति से इसका कोई लेना देना नहीं है. कोई परिवारवाद ऐसे विषय पर आप बार बार बोल चुके हैं. आप राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते. विपक्ष ने जो आरोप लगाए थे, उनका जवाब देना चाहिए था. प्रधानमंत्री भाषण देना जानते हैं. ये चुनावी भाषण था. कल दिल्ली में लोग वोट डालने जा रहे हैं. इसी को सोचकर वे बोल रहे थे. अर्बन नक्सल वाली बात भी ठीक नहीं थी.
सरकार आंकड़े छिपा रही- अखिलेश यादव
उधर, लोकसभा में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, यह बहुत अफसोस की बात है कि जब कुंभ में इतनी बड़ी घटना हुई, यह सिर्फ विपक्ष का सवाल नहीं है, पूरी दुनिया ने देखा कि कुंभ में क्या हुआ, सरकार लापता लोगों और मौतों का आंकड़ा छिपा रही है. हमने 2 मिनट का मौन रखने की भी मांग की लेकिन आज किसी ने इसकी परवाह नहीं की. सरकार को जानमाल के नुकसान की कोई चिंता नहीं है.
पीएम के भाषण पर क्या बोले अखिलेश?
लोकसभा में पीएम मोदी के भाषण पर कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने कहा, सोनिया गांधी पर आरोप झूठे हैं, प्रियंका गांधी ने भी इसे स्पष्ट किया, वह राष्ट्रपति का सम्मान करती हैं और उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा. झूठ फैलाया जा रहा है और दुर्भाग्य से प्रधानमंत्री संसद में वही दोहरा रहे हैं. हर समय गांधी परिवार को बेवजह कोसना. दिन भर उन्हें गाली देना, क्या यह भी भाषण है?
2014 के बाद ही क्या अखंड भारत बना- प्रियंका चतुर्वेदी
पीएम मोदी के भाषण पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, विपक्ष के बारे में बातें कहना, हर बात के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराना, अपनी जिम्मेदारियों के बारे में नहीं बोलना. बेरोजगारी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है, महंगाई बढ़ गई है. आपने युवाओं को बेरोजगार कर दिया, किसानों की आय दोगुनी नहीं की, लेकिन इसका कोई जिक्र नहीं था, मूलभूत लोकतंत्र जिसमें हमारी न्यायपालिका, ईसी, सीबीआई, ईडी, आईटी शामिल हैं, उन्होंने उनकी भूमिका को कमजोर कर दिया, लेकिन इसका कोई जिक्र नहीं था. उन्होंने ऐसे कहा जैसे जो भी सकारात्मक हुआ वह हुआ 2014 के बाद ही हुआ. 2014 के बाद ही यह अखंड भारत बना. 2014 के बाद ही हमें आजादी मिली. 2014 के बाद ही हम गणतंत्र बने. 2014 के बाद ही संविधान अस्तित्व में आया. इसलिए, यह संस्थापक पिताओं का अपमान है.