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शारदा सिन्हा का आखिरी छठ गीत, मौत से एक दिन पहले हुआ रिलीज, बोल सुन नम हुई फैन्स की आंखें




नई दिल्ली:

मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का 5 नवंबर को नई दिल्ली के एम्स में निधन हो गया. वह 72 साल की थीं. पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा को 2018 में ब्लड कैंसर का पता चला था. सिन्हा को 27 अक्टूबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था. उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने सोशल मीडिया पर उनके निधन की खबर शेयर की.

4 नवंबर को सिन्हा का आखिरी प्री-रिकॉर्डेड छठ ट्रैक ‘दुखवा मिटाईं छठी मैया’ रिलीज हुआ. उनके बेटे ने अपनी मां की प्रोफाइल से गाने का लिंक शेयर किया. कैप्शन में उन्होंने लिखा, “इस बीच जब मेरी मां बीमारी से अपनी लड़ाई लड़ रही हैं. मैं उनके नए छठ गीत दुखवा मिटाईं छठी मैया का एक वीडियो पोस्ट करके एक छोटा सी कोशिश कर रहा हूं. ऑडियो रिलीज होने के बाद मैंने एम्स अस्पताल परिसर में सिर्फ अपने लैपटॉप और मोबाइल डेटा का इस्तेमाल करके यह वीडियो बनाया. इसमें मेरी मां की खूबसूरत पुरानी यादों की कलेक्शन को छठ पर्व के मनमोहक दृश्यों के साथ जोड़ा गया है.”

उन्होंने लिखा, “मुझे उम्मीद है कि आप सभी मुझे अपना आशीर्वाद देंगे. मेरा बस इतना ही अनुरोध है कि अगर कोई इस वीडियो को देखने के बाद अपना हाथ ऊपर उठाए, तो वह मेरी मां के ठीक होने और उनके जीवन में वापस आने के लिए प्रार्थना करे. मैं अपने दोस्तों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने इस प्रोजेक्ट को संभव बनाया.”

शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला कहा जाता था. भोजपुरी, मैथिली और मगही संगीत में उनके अपार योगदान के लिए उन्हें व्यापक रूप से पहचाना जाता था. बिहार के पारंपरिक संगीत को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. छठ पर्व और शादियों को समर्पित उनके गीत बिहार में खास तौर पर लोकप्रिय हैं.

उनके प्रसिद्ध छठ गीतों में केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झके झुके, हे छठी मैया, हो दीनानाथ, बहंगी लचकत जाए, रोजे रोजे उगेला, सुना छठी माई, जोड़े जोड़े सुपवा और पटना के घाट पर शामिल हैं. सिन्हा ने बॉलीवुड के गानों को भी अपनी आवाज दी है. उन्होंने सलमान खान और भाग्यश्री की 1989 की फिल्म मैंने प्यार किया में काहे तो से सजना, गैंग्स ऑफ वासेपुर से तार बिजली और हम आपके हैं कौन में बाबुल जो तुम ने सिखाया गाना गाया.

1 अक्टूबर 1952 को बिहार में जन्मीं शारदा सिन्हा ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में पीएचडी की थी. उन्होंने मगध महिला कॉलेज और प्रयाग संगीत समिति से संगीत की विशेष शिक्षा ली. महान लोक गायिका को 1991 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. इसके बाद 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. उन्हें भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार गौरव, बिहार रत्न और मिथिला विभूति जैसे कई राज्य सम्मान भी मिले हैं. संगीत में शारदा सिन्हा के योगदान ने भारत की लोक शैली पर अमिट छाप छोड़ी है.





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