रक्षा खडसे की राजनीति और संघर्ष की कहानी
2014 के चुनावों में रक्षा खडसे टिकट की दौड़ में नहीं थी. लेकिन रावेर सीट से उनके पति के पराभव का कारण बने मनीष जैन को एनसीपी ने टिकट दिया. मनीष जैन के निजी ईश्वरलाल जैन ने एकनाथ खडसे को उकसाते हुए कहा कि यह चुनाव अगर खडसे के खिलाफ होता तो मजा आता. फिर रक्षा खडसे मैदान में उतरती है और मनीष जैन को तीन लाख से भी ज्यादा मतों से हराती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी 60 प्रतिशत वोट के साथ रक्षा ने रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की.
परिवार बीजेपी से हुआ अलग लेकिन रक्षा ने निभाया साथ
एकनाथ खडसे पर दाऊद इब्राहिम से संबंध और जमीन घोटाले का आरोप लगा और उन्हें धीरे धीरे बीजेपी और सत्ता से हटाया गया. आखिर एकनाथ खडसे 2020 में बीजेपी को छोड़कर एनसीपी में शामिल हुए. सबकी नजरें अब उनकी बहू रक्षा खडसे पर बनी हुई थी, क्या वह भी बीजेपी छोड़ेंगी यही सवाल पूछा जा रहा था. लेकिन रक्षा बीजेपी के साथ बनी रही है. उन्होंने कहा कि मैं पार्टी नहीं छोडूंगी क्योंकि मुझे पार्टी में कोई दिक्कत नहीं है. कुछ महीनों पहले ही एकनाथ खडसे की फिर एक बार बीजेपी में घरवापसी हो गई है.
आज मंत्री पद के लिए कॉल आने के बाद रक्षा तुरंत दिल्ली पहुंची. रक्षा ने पीएम मोदी से मुलाकात की और उनसे मिलने के बाद NDTV के साथ बातचित में कहा,” प्रधानमंत्री ने हमें शुभकामनाएं दी. उनके आशीर्वाद से हमें आगे सरकार में काम करना है. नरेंद्र मोदी ने देश के लिए जो काम किया है वह ऐतिहासिक है. देश को आगे ले जाने में नरेंद्र मोदी की अहम भूमिका रही है. जनता ने हमें 5 साल और मौका दिया है. मुझे लगता है कि अगले 5 साल में और अच्छे से काम होगा. हमें देश की जनता की सेवा करनी है.”
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