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मोदी 3.0 कैबिनेट में बिहार को बड़ी हिस्सेदारी, जानें कब-कब बने कितने मंत्री


वहीं 2014 में एनडीए में बीजेपी, एलजेपी और आरएलएसपी शामिल थी, इनमें 7 मंत्रियों में से बीजेपी के 5 और एलजेपी तथा आरएलएसपी के एक-एक मंत्री शामिल थे. उस समय बीजेपी से रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी, राधामोहन सिंह, अश्विनी चौबे और रामकृपाल यादव शामिल थे. वहीं एलजेपी के रामविलास पासवान और आरएलएसपी से उपेंद्र कुशवाहा मंत्री बनाए गए थे.

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मोदी कैबिनेट में इस बार बिहार से दो पुराने चेहरे नित्यानंद राय और गिरिराज सिंह को बनाए रखा गया है. वहीं भाजपा से ही दो अन्य नेता राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र दूबे और मुजफ्फरपुर से सांसद राज भूषण चौधरी को राज्य मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई है.

इसके अलावा एनडीए में शामिल नीतीश कुमार की जेडीयू से सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और राज्यसभा सदस्य रामनाथ ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री के तौर पर शपथ ली. साथ ही बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक जीतन राम मांझी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान को भी मंत्री परिषद में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया. 

इस मंत्रिमंडल में भी बिहार में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बिहार में जातीय समीकरण के अनुसार उच्च जाति और पिछड़ी जाति से तीन-तीन जबकि दलित समुदाय से दो नेताओं को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में स्थान दिया गया है. पांच मंत्री दलित, पिछड़े, अति पिछड़े वर्ग से आते हैं. इनमें पासवान जाति से चिराग पासवान, मुसहर जाति से जीतन राम मांझी, अति पिछड़ी जाति से जदयू के रामनाथ ठाकुर और भाजपा के राजभूषण चौधरी को मंत्री बनाया गया है.

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इसके अलावा, पिछड़े वर्ग से भाजपा के नित्यानन्द राय तथा सवर्ण जातियों में भूमिहार से गिरिराज सिंह, ललन सिंह और ब्राह्मण जाति से सतीश चंद्र दुबे को मंत्री बनाया गया है. हालांकि राजपूत जाति से आने वाले किसी सांसद को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया है.

मंत्री बनाने में एनडीए ने क्षेत्रीय संतुलन को भी बनाये रखने का ख्याल रखा है. उत्तर बिहार से छह मंत्री बनाये गए हैं, जबकि पूर्वी बिहार और मगध क्षेत्र से एक-एक को स्थान दिया गया है.

इससे पहले के मंत्रिमंडल में भी उत्तर बिहार को तरजीह मिली थी. ललन सिंह मुंगेर से चुनकर आए हैं, जबकि मांझी गया यानी दक्षिण बिहार से चुनकर संसद पहुंचे हैं. देखा जाय तो उत्तर बिहार में एनडीए ने बड़ी सफलता हासिल की है. सीमांचल और कोसी की तीन सीट, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार को छोड़ दें तो सभी सीटों पर एनडीए के प्रत्याशियों ने परचम लहराया है. ऐसे में मंत्रियों की संख्या भी उत्तर बिहार से ज्यादा देखने को मिली है.

इस मंत्रिमंडल में बिहार से सभी घटक दलों को स्थान दिया गया है. राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा चुनाव हार गए थे.





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