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भीषण गर्मी में शहर से जंगल तक नहीं थम रहे आग लगने के मामले



नई दिल्‍ली :

देश में प्रचंड गर्मी के बीच हर दूसरे दिन कहीं ना कही से आग लगने की घटनाएं (Fire Incidents) सामने आ रही हैं. आग लगने की यह समस्या इतनी विकराल है, इसका अंदाज इन घटनाओं को अलग-अलग देखने से पता नहीं चलता है.  इसलिए NDTV की टीम ने सात राज्यों का ब्योरा एक जगह जमा किया है. हमारे 7 संवाददाताओं ने जो जानकारी जुटाई है वो चौंकाने और डराने वाली है. हम आज आपको उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और देश की राजधानी दिल्ली के बारे में बता रहे हैं. पिछले छह महीने में इन राज्यों में 38 हजार आग लगने की घटनाएं हुई हैं, आग की इन घटनाओं से बड़े पैमाने पर जान और माल का नुकसान हुआ है. जाहिर है हमारे फायर फाइटिंग सिस्टम में कहीं न कहीं कमी है.

राजस्‍थान 

राजस्थान में आगजनी की पांच हजार से अधिक घटनाएं सामने आई हैं. मार्च के बाद से जयपुर में हजार से ज्यादा आगजनी की घटनाएं हुई हैं, जिसमें 15 से ज्‍यादा लोगों की मौत हुई है. इनमें से ज्यादातर घटनाएं शॉर्ट सर्किट के वजह से हुई हैं. मार्च के बाद सिविल डिफेंस के पास 412 शिकायतें पहुंची हैं. मई में सबसे अधिक आगजनी की घटनाएं हुई हैं. कोटा में एक हजार से अधिक और अलवर में 100 से अधिक मामले सामने आए हैं.

पंजाब 

पंजाब में भी आगजनी की घटनाएं बढ़ी है. जनवरी से लेकर 16 जून तक फायर डिपार्टमेंट के पास 7509 कॉल्स आईं. अब तक आग लगने से 6 लोगों की मौत हुई है. यहां पर भी आग लगने के मुख्य कारण शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा हैं. जनवरी में फायर डिपार्टमेंट के पास ऐसी 238 शिकायतें आई थीं, वहीं फरवरी में यह 265 थी. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ी इस तरह की शिकायतों में भी इजाफा हुआ है. अप्रैल में 1000 तो मई में 3000 से ज्‍यादा मामले सामने आए हैं. 

मध्‍य प्रदेश 

मध्यप्रदेश में गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी दर्ज हुई है. अग्निशमन विभाग के मुताबिक मार्च, अप्रैल और मई में तीन महीनों में घटनाएं बढ़ जाती हैं. भोपाल में ही पिछले तीन महीनों में औसतन 200-250 घटनाएं सामने आई है, मंत्रालय में ही दो बार आग लग चुकी है. सबसे ज्‍यादा इंदौर में छोटी बड़ी आग लगी है. प्रदेश में औसतन 10-12 हजार शिकायतें विभाग के पास पहुंची है. मॉल हॉस्पिटल और बिल्डिंग में यह घटनाएं सामने आई है. 

अग्निशमन विभाग का मानना है कि गर्मी में बिजली के इस्तेमाल का लोड बढ़ने से भी घटनाएं बढ़ जाती हैं. अग्निशमन विभाग ने इस बार गर्मियों से पहले खासतौर पर अवेयरनेस कार्यक्रम भी चलाया था और लोगों को अग्निशमन उपकरण चलाने की ट्रेनिंग भी दी गई थी. हालांकि मध्‍य प्रदेश में ऐसे कई सरकारी दफ्तर और कई जगहें ऐसी हैं, जहां पर फायर एनओसी ही नहीं है. 

छत्तीसगढ़ 

छत्तीसगढ़ में भी जनवरी से अब तक 3766 आगजनी से संबंधित काल आए हैं. जनवरी से लेकर अब तक आग लगने की 411 घटनाएं सामने आईं हैं. इस कारण से 11 लोगों की मौत भी हुई है. आग लगने की वजह ज्‍यादातर शॉर्ट सर्किट ही बताई गई है. इनमें से दो बड़ी घटनाएं हैं, जिनमें 25 मई को बेमेतरा जिले में एक बारूद फैक्ट्री में ब्‍लास्‍ट हुआ था, जिसमें एक व्‍यक्ति की मौत हो गई थी. वहीं दूसरी घटना 29 मई की है, जब रायपुर के हीरापुर में गद्दा फैक्ट्री में आग लगने से दो लोगों की जलकर मौत हो गई थी. 

आग लगने की वजह ज्‍यादातर शॉर्ट सर्किट सामने आई है. शॉर्ट सर्किट होने की सबसे बड़ी वजह गर्मियों में एसी कूलर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के उपयोग की संख्या बढ़ने से इलेक्ट्रिक लोड बढ़ जाता है, जिससे इलेक्ट्रिक तारों में आग लग जाती है. 

दिल्ली 

दिल्ली में भी इस साल आग लगने की घटना तेज़ी से बढ़ी है. इस साल अब तक साढ़े 12 हजार से ज्‍यादा आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 55 लोगों की मौत हुई है. आग की इन वारदातों की सबसे बड़ी वजह बिजली है. करीब  50 फीसदी घटनाएं शॉर्ट सर्किट की वजह से हुई हैं.  इस साल 29 मई को आग लगने की सबसे ज्‍यादा  183 कॉल आई है. इससे पहले 2023 और 2022 में आग की करीब 22 हजार घटनाएं सामने आई थीं. वहीं 2021 में 19 हजार मामले सामने आए थे. 

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दिल्ली में दमकल विभाग को 2021 में 27370, 2022 में 31031, 2023 में 31399 और 2024 में 11 जून तक 17524 कॉल मिली हैं. इनमें 70 फीसदी कॉल्स आग लगने की घटनाओं की थी. आग लगने की सबसे बड़ी वजह बिजली है.

फायर डिपार्टमेंट के मुताबिक, दिल्‍ली में आग लगने की करीब 50 प्रतिशत घटनाएं शॉर्ट सर्किट के कारण हुई. जांच में सामने आया है कि तमाम जगहों पर एसी या किसी दूसरे इलेक्ट्रिक उपकरण के कारण आग लगी है. डिपार्टमेंट के मुताबिक 2023 के मुकाबले 2024 में आग लगने की घटनाओं में करीब 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 

दिल्‍ली में आग लगने से 2024 में अब तक 55 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 2023 में शुरुआती छह महीनों में 37 लोगों की जान गई थी. 

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उत्तराखंड 

उत्तराखंड के जंगलों में कई जगह भीषण आग लगी है. इस सीजन में जंगलों में लगी आग से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. पिछले 24 घंटे में उत्तराखंड में पांच जगह पर आग लगने की घटना सामने आई है. अब तक इस सीजन में आग की 1242 घटनाएं सामने आईं और इससे 1696.32  हेक्टेयर इलाके को नुकसान पहुंचा है. गढ़वाल में 532, कुमाऊं में 596 और रिजर्व फॉरेस्‍ट में 112 जगहों पर आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. 2022 में 2171 आग लगने की घटनाएं सामने आई थीं, वहीं 2023 में इनकी संख्‍या 718 थी. हालांकि 2024 में अब तक 1242 जगहों पर आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. 

आग लगने का सबसे बड़ा कारण बारिश का नहीं होना और तापमान का बढ़ना माना जा रहा है. हालांकि वन विभाग का मानना है कि दूसरा सबसे बड़ा कारण लोगों द्वारा जंगलों में आग लगाना है. इस तरह के मामलों में कई लोगों को पकड़ा भी गया है और मामले भी दर्ज किए गए हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, उत्तराखंड में 18 जून से प्री मानसून और 24 जून को मानसून दस्‍तक दे देगा. 

हिमाचल प्रदेश 

हिमाचल प्रदेश में जंगलों में 1100 से ज्‍यादा आग लगने के मामले सामने आए हैं. इस आग में 10 हजार हेक्टेयर से ज्‍यादा जंगल खाक हो गए हैं,  जिससे कई करोड़ का नुकसान हुआ है. वहीं पिछले 15 दिनों में आग की घटनाओं में 3 गुना बढ़ोतरी हुई है. वन विभाग के मुताबिक पिछले 10 सालों से आग के मामले बढ़ रहे हैं. सिर्फ एक साल 2021 ही ऐसा रहा है, जब जंगल की आग की 33 घटनाएं सामने आईं हैं. इसके अलावा 2022 में 860 तो 2023 में जंगल में आग लगने के 681 मामले सामने आए.

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