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देखिए तस्वीरें, जब तिहाड़ जेल से छूट सीधे अरविंद केजरीवाल के घर पहुंचे मनीष सिसोदिया



नई दिल्ली:

दिल्ली के शराब नीति केस ( Delhi Liquor Policy Case)में 17 महीने से तिहाड़ जेल में बंद पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जमानत दे दी है. सिसोदिया को दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े CBI और ED दोनों केस में राहत मिली है. शुक्रवार देर शाम तिहाड़ जेल से उनकी रिहाई हो गई. जेल से बाहर आने के बाद सिसोदिया सबसे पहले CM अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के घर उनके परिवार से मिलने गए.  इसी केस में केजरीवाल भी तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन्होंने केजरीवाल के माता-पिता से पैर छूकर आशीर्वाद लिया और वहां मौजूद बच्चों को गले से लगा लिया.सिसोदिया को देखकर केजरीवाल के पत्नी सुनीता केजरीवाल भावुक नजर आईं.     

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CBI ने दिल्ली के शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के केस में मनीष सिसोदिया को 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था. इसके बाद ED ने 9 मार्च 2023 में उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया. सिसोदिया ने 28 फरवरी 2023 को दिल्ली सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

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सिसोदिया को किन शर्तों पर मिली जमानत?
मनीष सिसोदिया को 3 शर्तों पर जमानत दी गई है. पहला- उन्हें 10-10 लाख रुपये का बेल बॉन्ड भरना होगा. दूसरा- अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा. सिसोदिया इस दौरान केस के सबूतों और गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे. तीसरा- उन्हें हर सोमवार और गुरुवार को नजदीकी पुलिस स्टेशन में हाजिर होना होगा.

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सिसोदिया पर हैं कौन से आरोप?
ED और CBI ने अपनी चार्जशीट में मनीष सिसोदिया पर कई आरोप लगाए हैं.
-सिसोदिया पर शराब का लाइसेंस लेने वालों को फायदा पहुंचाने का आरोप है. इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ.
-उनपर कोडिव के दौरान शराब की दुकानें बंद रहने पर उनके मालिकों को लाइसेंस फीस में 144.36 करोड़ रुपये की छूट देने का आरोप है.
-सिसोदिया पर ये भी आरोप है कि उन्होंने बिजनेसमैन अमित अरोड़ा को फायदा पहुंचाने के लिए घूस ली.
-इस केस के सबूत छिपाने के लिए उन्होंने 14 फोन और 43 सिम कार्ड बदले.
-एक्साइस विभाग के मंत्री होकर उन्होंने गलत फैसले लिए, जिससे कुछ लोगों को लाभ हुआ.

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जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत देते हुए कहा, “अब समय आ गया है कि अदालतें इस बात को समझें कि जमानत देना एक नियम है और जेल एक अपवाद.” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा था की मनीष सिसोदिया की अर्जियों की वजह से ट्रायल शुरू होने में देरी हुई, वो सही नहीं है. हम नहीं मानते कि अर्जियों की वजह से ट्रायल में देरी हुई. इस मामले में ED ने भी 8 चार्जशीट दाखिल किए. ऐसे में जब जुलाई में जांच पूरी हो चुकी है, तो ट्रायल क्यों नहीं शुरू हुआ. हाईकोर्ट और निचली अदालत ने इन तथ्यों को अनदेखा किया.”

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 मई 2024 को सिसोदिया को जमानत देने से इनकार किया था. इसके बाद सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. सिसोदिया ने दलील दी थी कि 2023 अक्टूबर से उनके खिलाफ मुकदमे में कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है. लिहाजा उनकी जमानत पर विचार किया जाए.

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21 मार्च को अरेस्ट हुए थे केजरीवाल
शराब नीति केस में ED ने अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को उनके घर से गिरफ्तार किया था. 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 21 दिन की जमानत दी थी, 2 जून को उन्होंने सरेंडर किया था. 26 जून को उन्हें CBI ने अरेस्ट कर लिया. हालांकि, 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल को जमानत दे दी थी, लेकिन CBI केस के चलते वह जेल से बाहर नहीं निकल पाए.

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