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दुनिया चांद-सितारों पर पहुंची हम कब्र और शराब पर अटके


“मुसलमान और हिन्दू है दो, एक मगर उनका प्याला
एक मगर उनका मदिरालय, एक मगर उनकी हाला
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद-मन्दिर में जाते
बैर बढ़ाते मस्जिद-मन्दिर मेल कराती मधुशाला!”

हरिवंश राय बच्चन की रचना मधुशाला की यह पंक्तियाँ आज के वर्तमान हालात पर एकदम सटीक बैठती है. एक तरफ जहां पूरी दुनिया में होड़ इस बात को लेकर मची हुई है की AI के क्षेत्र में कौन सा देश आगे निकलेगा. एक तरफ जहां अमेरिका ग्रोक AI और चीन DEEPSEEK AI निकाल कर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक-दूसरे को पछाड़ने की कवायद में लगे है. एक तरफ जहां अमेरिकन एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर अंतरिक्ष में 286 दिन बिताकर वापस धरती पर लौट आये हो. वही हमारे देश में बवाल मचा है- 318 साल पहले मरे एक क्रूर मुग़ल बादशाह के नाम पर. हमारे देश के एक ऐसे राज्य जहां पानी की घोर किल्लत है, वहां के चुने हुए जनप्रतिनिधि मांग कर रहे हैं शराब की. 

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हमारे देश के अधिकतर राज्यों में राज्य सरकार के राजस्व में सबसे ज़्यदा पैसा शराब की बिक्री से आता है. राज्य सरकारें समय-समय पर शराब की बिक्री से मुनाफा बढ़ाने के लिए शराब नीति में बदलाव करती हैं. गांधी दर्शन के अनुसार शराब पीना किसी भी सभ्य समाज के लिए उचित नहीं है. लेकिन मौजूदा समय में शराब पीने का चलन ऐसा है कि 100 में 70 लोग पीने वाले ही मिलेंगे. वहीं देश के कुछ राज्य में जैसे बिहार, गुजरात और भी कुछ अन्य जिनमें शराबबंदी है.

इन सब के बीच दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में बुधवार को कर्नाटक विधानसभा में JDS के वरिष्ठ विधायक MT कृष्णप्पा ने सरकार से हर सप्ताह लोगों को दो बोतल शराब देने की मांग की. JDS विधायक MT कृष्णप्पा चाहते है कि सिद्धरमैया सरकार अपनी 5 गारंटी में शराब की दो बोतल भी पुरुषों को दे.

विधायक एमटी कृष्णप्पा ने अपनी सी अजीबो-गरीब दलील के पीछे जो तर्क दिया उसको सुनकर आप भी अपना माथा पीट लेंगे. बुधवार को विधानसभा में विधायक महोदय ने कहा, अध्यक्ष महोदय, मुझे गलत मत समझिए, लेकिन जब आप 2000 रुपये मुफ्त देते हैं, जब आप बिजली मुफ्त देते हैं- तो यह हमारा पैसा है, है न? तो उनसे कहिए कि वे शराब पीने वालों को भी प्रति सप्ताह दो बोतल मुफ्त दें.

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उन्होंने आगे कहा कि हर महीने पैसे देना संभव नहीं है, है न? बस दो बोतल. यह हमारा पैसा है जो शक्ति योजना, मुफ्त बस और करंट के लिए दिया जा रहा है, है न? तो पुरुषों को हर सप्ताह दो बोतल देने में क्या बुराई है? इसे करवाइए. कॉपरेटिव सोसाइटी के जरिए ऐसा करने दीजिए. जॉर्ज को यह करने दीजिए. समाज की ओर से यह दीजिए. 

बात प्राथमिकताओं की है , देश के जिस राज्य की विधानसभा में बैठ कर विधायक MT कृष्णप्पा जी ये बयान दे रहे थे उस राज्य में आज के समय में सबसे बड़ी चुनौती पानी की किल्लत है. साल-दर-साल उस राज्य में ग्राउंड वाटर लेवल गिरता जा रहा है. गर्मियों के मौसम में तो इसी राज्य में बड़ी-बड़ी हाउसिंग सोसाइटी में वाटर टैंकर को लेकर मार होने की खबरें सामने आती है. 

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नौबत यहां तक पहुंच जाती है कि राज्य में पानी बर्बाद करने वालो पर राज्य सरकार जुर्माना तक लगाना शुरू कर देती है, लेकिन भला विधायक जी इन सब बातों की चर्चा क्यों करेंगे? भला विधायक जी आगामी गर्मी में पानी की किल्लत न हो इसको लेकर सुझाव क्यों देंगे.

चुनाव के मौके पर शराब बांटने का भी चलन भारत के कई इलाकों में है और विधायक महोदय ने सोचा चुनाव के समय ही क्यों हर सप्ताह शराब की बोतल लोगों को मिले सीधा इसका ही कोई जुगाड़ क्यों न कर दिया जाये और शायद इसीलिए उन्होंने अपने मस्तिष्क का प्रयोग कर ये नायब आईडिया विधानसभा में दिया.  

विधायक जी की इस अजीबो गरीब मांग में कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर ने MT कृष्णप्पा से कहा कि आपकी ऐसी बात की मांग करने भर से हम मुश्किल में है, सोचिए अगर सच में ऐसा कर दिया गया तो क्या स्थिति हो जाएगी. अब भला विधायक जी ये सुनकर चुप कैसे रहते. उन्होंने भी तुरंत जवाब देते हुए कह डाला आप ये कर देंगे तो सब स्थिति खुद-ब-खुद सुधर जाएगी. तुरंत मिले जवाब से स्पीकर साहब यूटी खादर तिलमिलते हुए  MT कृष्णप्पा को वो दिन याद करवाते हुए नज़र आये जब विधायक महोदय पूरी की पूरी बोतल घटका लेते थे.

चंदन भारद्वाज NDTV में एंकर हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.



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