दिल्ली में मोदी-सोरेन और मुंबई में पवार-भुजबल, एक दिन में इन 2 मुलाकातों की क्या है इनसाइड स्टोरी?
नई दिल्ली:
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. दोनों नेताओं की मुलाकात करीब तीन साल बाद हुई है. सोरेन की इन मुलाकातों ने झारखंड की राजनीति में सरगर्मी ला दी है. हालांकि सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इन मुलाकातों को शिष्टाचार भेंट बताया है. वहीं एक दूसरी मुलाकात आज ही सुबह मुंबई में हुई. एनसीपी (शरदचंद्र पवार) से एनसीपी नेता अजित पवार के करीबी छगन भुजबल ने मुलाकात की. इस मुलाकात से महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मची हुई है.
पीएम मोदी से मिले सीएम सोरेन
हेमंत सोरेन दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर रहे थे, उधर रांची में बीजेपी उनकी सरकार के खिलाफ आरोप पत्र लाने की तैयारी कर रही थी. बीजेपी का आरोप है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार ने प्रदेश के लोगों के साथ वादाखिलाफी की है. उसका कहना है कि इस मुद्दों को लेकर वह जनता की शरण में जाएगी.
माननीय प्रधानमंत्री श्री .@narendramodi जी से शिष्टाचार मुलाक़ात हुई। pic.twitter.com/jByrjWHsUw
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) July 15, 2024
हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ आरोपपत्र लाने की तैयारियों के बीच झामुमो ने बीजेपी पर हमला बोला है. पार्टी ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार के घोषणापत्र और हमारे घोषणापत्र को एक साथ लेकर बीजेपी जनता के बीच जाए, जनता खुद ही फैसला ले लेगी.
पीएम मोदी और हेमंत सोरेन की यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब झारखंड में विकास के कई मुद्दे चर्चा में हैं. माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री से इन मुद्दों पर चर्चा की और राज्य के लिए सहयोग मांगा होगा. हालांकि मुलाकात के दौरान क्या बात हुई इसका पता अभी नहीं चल पाया है. सोरेन ने पीएम मोगी से मिलने के बाद राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु से भी मुलाकात की.
हेमंत सोरेन की वापसी
सोरेन 28 जून को ही जेल से बाहर आए हैं. इस साल के शुरू में प्रर्वतन निदेशालय (ई़डी) ने जमीन घोटाले के एक आरोप में गिरफ्तार किया था. सोरेन दो दिन से दिल्ली में हैं. रविवार को उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की थी. जेल से बाहर आकर सोरेन ने केंद्र सरकार पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया था.
जेल जाने से पहले हेमंत सोरेन ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. जेल से बाहर आने के बाद सोरेन ने चार जुलाई को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से शपथ ली थी. तीसरी बार प्रदेश की कमान संभालने के बाद से सीएम हेमंत सोरेन की यह पीएम नरेंद्र मोदी से पहली मुलाकात थी.
मुंबई में हुई एक मुलाकात
वहीं मुंबई में एनसीपी (शरदचंद्र पवार) से एनसीपी नेता छगन भुजबल ने मुलाकात की. राज्य में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर इस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि भुजबल ने कहा कि यह मुलाकात आरक्षण को लेकर थी. भुजबल ने मीडिया से कहा, ”महाराष्ट्र में स्थिति बहुत खराब है. मराठा, ओबीसी के दुकान में नहीं जा रहे हैं. मैंने उनसे कहा कि आप राज्य के बड़े नेता हैं, आपको इसमें आगे आकर रास्ता निकालना चाहिए. झगड़े को खत्म करना होगा.” उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर वो राहुल गांधी से भी बात करने को तैयार हैं.
शरद पवार से मुलाकात पर भुजबल की इस मुलाकात को महाराष्ट्र की राजनीति के लिए एक बड़े संकेत के रूप में देखा जा रहा है. पवार से मिलने से एक दिन पहले ही भुजबल ने उनके गढ़ बारामती में उनपर जमकर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि मराठा आरक्षण पर हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी महाविकास अघाड़ी के नेता बारामति से आए एक टेलीफोन की वजह से शामिल नहीं हुए थे. उनका इशारा पवार की तरफ था.
एनसीपी की हार
इस साल हुए लोकसभा चुनाव में अजित पवार की एनसीपी को भारी हार का सामना करना पड़ा था.बारामती की लड़ाई में अजित पवार को हार का सामना करना पड़ा था. वहां से उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार मैदान में थी. उन्हें शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने मात दी. इस हार के बाद सुनेत्रा को अजित पवार ने राज्य सभा चुनाव में उम्मीदवार बना दिया था. भुजबल इस बात से नाराज बताए जा रहे हैं. भुजबल की गिनती एक समय शरद पवार के सबसे करीबियों में होती थी. लेकिन एनसीपी में बगावत के समय उन्होंने अजित पवार का साथ दिया था. उन्हें महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री भी बनाया गया था. वो सरकार में शामिल तो हैं, लेकिन खुश नहीं हैं. उनको लगता है कि पार्टी और सरकार में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है.
भुजबल आरक्षण को लेकर काफी सजग रहते हैं. मराठा आरक्षण की मांग के जोर पकड़ने पर भुजबल ने कहा था कि वो नहीं चाहते कि मराठाओं को ओबीसी कोटे से आरक्षण दिया जाए. उनका कहना है कि वो मराठा आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं. इसको लेकर उन्होंने ओबीसी एल्गार रैलियों का आयोजन किया था.
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