जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव जल्द, सीटों और राजनीतिक समीकरण को समझिए
जम्मू-कश्मीर में आज विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान (Jammu Kashmir Assembly Election Date Announcement) होने जा रहा है. चुनाव आयोग आज शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घाटी में चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा. साल 2019 में धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. लेकिन घाटी का राजनीति समीकरण अब पूरी तरह से बदल चुका है. धारा 370 हटने से पहले तक जम्मू-कश्मीर राज्य था. लेकिन अब वह केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. साथ ही राजनीति के लिहाज से भी वहां काफी बदलाव हुआ है. जम्मू-कश्मीर के बारे में विस्तार से जानिए.
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जम्मू-कश्मीर की राजनीति को समझिए
- जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 90 सीटें हैं. जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. पिछली बार जम्मू-कश्मीर में साल 2014 में 87 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए थे, जिनमें जम्मू की 37, कश्मीर की 46 सीटों और लद्दाख की 6 सीटें शामिल थीं.
- परिसीमन का काम पूरा नहीं हो पाने की वजह से साल 2014 के बाद से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं कराया जा सका. साल 2022 में परिसीमन के बाद से जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें हो गई हैं.
- जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय राजनीतिक दलों में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस बड़ी पार्टियों में शामिल है. इसके साथ ही पीपुल्स कांफ्रेंस, जम्मू कश्मीर पैंथर्स पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट, डोगरा स्वभाविमान संगठन के अलावा और अवामी लीग के साथ अवामी नेशनल कांफ्रेंस जैसे छोटे दल भी शामिल हैं.
- जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार साल 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब वोटिंग प्रतिशत 65 फीसदी रहा था. लेकिन किसी भी दल को पूर्ण बहमत नहीं मिला था. बीजेपी को 23 फीसदी वोट मिले थे. राज्य में बीजेपी-पीडीपी की सरकार बनी थी. साल 2018 में बीजेपी के समर्थन वापस लेने के बाद सरकार गिर गई थी. तब से अब तक वहां पर कोई भी चुनी हुई सरकार नहीं है.
- साल 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर उसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया था. जिसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया था.विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के इस कदम का जमकर विरोध किया था.
- आर्टिकल 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था. उस दौरान राज्य का न सिर्फ अलग झंडा था बल्कि अलग संविधान भी था. केंद्र सरकार के बहुत सारे कानून वहां पर लागू ही नहीं होते थे. तब दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर के नागरिक नहीं बन सकते थे.
- जम्मू-कश्मीर में 1957 में हुए चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बनी थी. 1962 में भी नेशनल कॉन्फ्रेंस को ही जीत मिली. 1967 और 1972 में कांग्रेस ने जीत हासिल की. 1983 में फिर फारूक अब्दुल्ला की पार्टी को मौका मिला. 1987 में NC+कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी. 1996 में फिर NC को मौका मिला. 2002 में पीडीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार रही. 2008 में NC+कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी. साल 2014 में पीडीपी+बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी.
2014 विधानसभा चुनाव के नतीजे जानिए
जम्मू कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था. महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार 2018 में गिर गई थी. इसके बाद 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब केंद्र शासित हो चुके जम्मू कश्मीर में चुनाव के बिगुल बजने जा रहा है. इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में वोटरों ने जबर्दस्त उत्साह दिखाया था. चुनाव के बायकॉट और आतंकियों की धमकी के बावजूद लोकसभा चुनाव में 58 प्रतिशत मतदान हुआ था. 1990 तक जम्मू कश्मीर में कभी भी 50 प्रतिशत से ऊपर मतदान दर्ज नहीं किया गया था.
जम्मू-कश्मीर में जल्द होगा विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में जब अनुच्छेद 370 हटा को पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे क्षेत्रीय दलों ने इसका जमकर विरोध किया. सुरक्षा के मद्देनजर कुछ समय के लिए महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को नजरबंद कर दिया गया था. लंबे समय से जम्मू-कश्मीर के लोग विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रहे हैं. अब उनका यह इंतजार खत्म होने जा रहा है. आज चुनाव की तारीखों का ऐलान होना है.
गृह सचिव EC के सुरक्षा आकलन से सहमत: सूत्र
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्वाचन आयोग (ईसी) से कहा है कि जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के वास्ते पर्याप्त सुरक्षाकर्मी उपलब्ध कराने के लिए वह तैयार हैं. सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी. सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह सचिव ने यहां चुनाव आयुक्तों के साथ बैठक के दौरान यह आश्वासन दिया. पिछले दिसंबर में उच्चतम न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को 30 सितंबर तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया था.