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‘जब आप हारे, तब ही खराब होती है EVM’, सुप्रीम कोर्ट में हुआ मस्क का जिक्र, खारिज की बैलेट पेपर से चुनाव कराने की याचिका


EVM to Ballot Paper:  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (26 नवंबर, 2024) को देश में चुनावों के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय बैलेट पेपर का इस्तेमाल करने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जब वे नहीं जीते तो मतलब ईवीएम में छेड़छाड़ की गई है और जब चुनाव जीत गए तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.

याचिकाकर्ता ने बताया कि चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी जैसे प्रमुख नेताओं ने भी ईवीएम से छेड़छाड़ के बारे में चिंता जताई थी तो सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की, “जब चंद्रबाबू नायडू या रेड्डी हार गए, तो उन्होंने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की गई थी और जब वे जीते, तो उन्होंने कुछ नहीं कहा. हम इसे कैसे देख सकते हैं? इसके बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि  यह वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस कर सकते हैं.

एलन मस्क का दिया उदाहरण

याचिकाकर्ता के. ए. पॉल ने एलन मस्क की टिप्पणियों का उदाहरण दिया, जिन्होंने सुझाव दिया था कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है. उन्होंने यह भी बताया कि एलन मस्क ने 150 से अधिक देशों का दौरा किया है और अधिकांश विदेशी देशों ने बैलेट पेपर वोटिंग को अपनाया है और तर्क दिया कि भारत को भी यही तरीका अपनाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवाल

मस्क का उदाहरण सुनने के बाद बेंच ने पूछा, “आप बाकी दुनिया से अलग क्यों नहीं होना चाहते?” याचिकाकर्ता ने चुनाव प्रचार के दौरान पैसे और शराब के इस्तेमाल को रोकने के लिए एक व्यापक रूपरेखा तैयार करने का भी आग्रह किया, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि इस तरह की प्रथाएं कानून के तहत प्रतिबंधित और दंडनीय हैं. इसके अतिरिक्त, याचिका में सूचित निर्णय लेने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक मतदाता शिक्षा अभियान के लिए निर्देश देने की मांग की गई. 

ईवीएम को लेकर कांग्रेस ने जताई थी चिंता

कांग्रेस ने आम चुनावों और हाल ही में संपन्न हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में चुनावी प्रक्रिया और ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर चिंता जताई है, जिसमें वह हार गई. चुनाव आयोग ने सभी आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वैधानिक चुनावी प्रक्रियाओं में किसी भी तरह के समझौते का सुझाव देने के लिए कोई सबूत नहीं है.

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