आरजी Kar कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को भ्रष्टाचार मामले में CBI ने किया गिरफ्तार
पश्चिम बंगाल:
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कई दिनों की पूछताछ के बाद सोमवार को कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के विवादास्पद पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार कर लिया. साथ ही इस मामले में तीन अन्य लोग देबाशीष, विक्रम सिंह और संजय विशिष्ठ को भी गिरफ्तार किया गया है. इन्हें आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष का नाम उनके कार्यकाल के दौरान संस्थान में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के संबंध में दर्ज किया था.
संदीप घोष के अलावा, सीबीआई ने मध्य जोरहाट, बानीपुर, हावड़ा के मेसर्स मा तारा ट्रेडर्स, जेके घोष रोड, बेलगछिया, कोलकाता के मेसर्स ईशान कैफे और मेसर्स खामा लौहा के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था.
राज्य स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव देबल कुमार घोष द्वारा दर्ज कराई गई लिखित शिकायत के आधार पर ये प्राथमिकी दर्ज की गई थी.
आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने याचिका दायर कर संस्थान में कथित वित्तीय कदाचार की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच कराने का अनुरोध किया था.
अली ने ये भी आरोप लगाया था कि एक साल पहले राज्य सतर्कता आयोग और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के समक्ष घोष के खिलाफ दर्ज कराई गई उनकी शिकायतों का कोई खास नतीजा नहीं निकला और इसके बजाय उन्हें संस्थान से स्थानांतरित कर दिया गया.
उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में अली ने घोष पर लावारिस शवों की अवैध बिक्री, जैव-चिकित्सा अपशिष्ट की तस्करी तथा दवा और चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ताओं द्वारा दिए गए कमीशन पर निविदाएं जारी करने का आरोप लगाया.
संदीप घोष पर अस्पताल में भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप
अली ने ये भी आरोप लगाया कि छात्रों पर परीक्षा पास करने के लिए पांच से आठ लाख रुपये तक की रकम देने का दबाव बनाया गया था. घोष ने फरवरी 2021 से सितंबर 2023 तक आरजी कर अस्पताल के प्राचार्य के रूप में काम किया. उन्हें उस वर्ष अक्टूबर में चिकित्सा प्रतिष्ठान से स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन एक महीने के भीतर ही वह उस पद पर वापस आ गए. महिला डॉक्टर की हत्या वाले दिन तक वो अस्पताल में कार्यरत थे.
सीबीआई ने अस्पताल के पूर्व अधीक्षक संजय वशिष्ठ और ‘फॉरेंसिक डेमोस्ट्रेटर’ देबाशीष सोम से भी भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में पूछताछ की है.