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अब जनादेश की बारी… महाराष्ट्र-झारखंड में किसकी बनेगी सरकार, उपचुनाव में कौन मारेगा बाजी? आज आएंगे नतीजे



नई दिल्ली:

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए डाले गए मतों की गिनती आज होगी. साथ ही 14 राज्यों की 46 विधानसभा सीट और महाराष्ट्र के नांदेड़ और केरल के वायनाड लोकसभा के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे भी शनिवार को आएंगे. जनता इन चुनावों को लेकर अपना फैसला सुनाएगी. मतों की गिनती आज सुबह 8 बजे से शुरू होगी. मतगणना के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. इन दोनों ही राज्यों में मुख्य मुकाबला एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच है. दोनों अलाएंस अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं.

झारखंड में दो चरण में 13 और 20 नवंबर को मतदान कराया गया था. वहीं महाराष्ट्र में सभी सीटों पर एक चरण में 20 नवंबर को मतदान कराया गया था. चुनाव आयोग के मुताबिक महाराष्ट्र में 65.11 फीसदी मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया. वहीं झारखंड में दूसरे फेज में 68.45 फीसदी मतदान हुआ. पहले चरण में वहां 66.65 फीसदी मतदान हुआ था. महाराष्ट्र में इस चुनाव में पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले करीब चार फीसदी ज्यादा मतदान हुआ. वहां 2019 के चुनाव में 61.4 फीसदी मतदान हुआ था. वहीं झारखंड में 2019 के चुनाव में 67.04 फीसदी मतदान हुआ था. महाराष्ट्र की 288 सदस्यों वाली विधानसभा में सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन को 145 सीटें जीतने की जरूरत है. वहीं 81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 41 सीटों का है.इन दोनों ही राज्यों में मुख्य मुकाबला दो गठबंधनों के बीच है. बीजेपी और कांग्रेस इन दोनों गठबंधनों की प्रमुख पार्टियां हैं. चुनाव आयोग के मुताबिक महाराष्ट्र में कुल 4136 तो झारखंड में 1211 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. महाराष्ट्र में 363 महिलाएं तो झारखंड में  128 महिलाएं चुनाव मैदान में हैं. वहीं, महाराष्ट्र और झारखंड में तीसरे लिंग के दो-दो उम्मीदवार अपनी चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं. 

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कहां कहां हुए चुनाव और उपचुनाव
महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव कार्यक्रम का ऐलान 15 अक्टूबर को हुआ था. झारखंड की 81 सीटों पर दो चरण में मतदान कराया गया. पहले चरण में 13 नवंबर को 43 और दूसरे चरण में 20 नवंबर को 38 सीटों पर मतदान कराया गया. महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर एक चरण में 20 नवंबर को मतदान कराया गया. 

महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही 14 राज्यों की कुल 46 विधानसभा सीटों और दो लोकसभा सीटों के लिए उपचुनाव भी कराए गए. जिन दो लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनके नाम हैं महाराष्ट्र की नांदेड़ और केरल की वायनाड सीट. नांदेड में कांग्रेस सांसद वसंतराव बलवंत राव चव्हाण के निधन की वजह से तो वायनाड में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस्तीफे की वजह से उपचुनाव कराना पड़ा. इस साल हुए लोकसभा चुनाव में राहुल ने वायनाड के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से भी चुनाव जीता था. उन्होंने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस ने वायनाड से प्रियंका गांधी वाड्रा को उम्मीदवार बनाया है. वहीं नांदेड़ सीट पर उसने वसंतराव बलवंत राव चव्हाण के बेटे रविंद्र वसंतराव चव्हाण को टिकट दिया है. जिन राज्यों में विधानसभा के उपचुनाव कराया गया, उनमें सबसे अधिक नौ सीटें उत्तर प्रदेश में हैं. 

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एग्जिट पोल में किसकी बन रही है सरकार

20 नवंबर को हुए मतदान के बाद विभिन्न एजेंसियों ने अपने एग्जिट पोल के आंकड़े जारी किए.महाराष्ट्र में कराए गए 11 एग्जिट पोल में से छह में महायुती की सरकार बनने का अनुमान लगाया गया है. शेष चार एग्जिट पोल में महा विकास अघाड़ी को बहुमत मिलने का अनुमान है. एक एग्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया गया है. वहीं झारखंड में कराए गए आठ एग्जिट पोल में चार में एनडीए और दो में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का अनुमान लगाया गया है. दो एग्जिट पोल ने त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया गया है. 

महाराष्ट्र का मुकाबला

इस बार का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव दिलचस्प रहा. इस चुनाव में कई पार्टियां मैदान में हैं. मुख्य मुकाबला छह पार्टियों के दो अलग-अलग गठबंधनों के बीच है. ये गठबंधन है बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना की महायुति और कांग्रेस, एनसीपी (पवार गुट) और उद्धव ठाकरे की शिवसेना का महा विकास अघाड़ी (एमवीए).कुछ छोटे-छोटे दल भी इन दोनों गठबंधनों में शामिल हैं. इनके अलावा बहुजन वंचित अघाड़ी के नाम से एक तीसरा गठबंधन भी महाराष्ट्र में ताल ठोक रहा है. कुछ निर्दलीय और विभिन्न दलों के बागी भी दावेदारी कर रहे हैं. 

महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. यह चुनाव बीजेपी और शिवसेना ने गठबंधन में लड़ा था.लेकिन सीएम पद को लेकर हुई खींचतान के बाद यह गठबंधन टूट गया था. इसके बाद शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने महा विकास अघाड़ी बनाकर सरकार बनाई थी. हालांकि, एमवीए की यह सरकार ज्यादा दिन तक चल नहीं पाई थी.

जून 2022 में शिवसेना में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत हो गई थी. शिंदे ने सेना के 40 से अधिक विधायकों को तोड़कर बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार भी पार्टी में बगावत कर शिवसेना और बीजेपी की सरकार में शामिल हो गए थे.  

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महाराष्ट्र के प्रमुख चुनावी मुद्दे क्या रहे 

महाराष्ट्र के इस चुनाव में की सबसे दिलचस्प हिस्सा रहा लोकलुभावन घोषणाएं. लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद एकनाथ शिंदे की सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं की. इनमें से ज्यादातर योजनाएं सीधे लोगों तक पैसा पहुंचाने की है. इसके जवाब में विपक्षी गठबंधन ने भी मिलती-जुलती योजनाओं का वादा किया है. इस चुनाव में सबसे अधिक चर्चा शिंदे सरकार की ‘मुख्यमंत्री- मेरी लाडली बहन योजना’ की हुई. यह योजना मध्य प्रदेश की ‘लाडली बहना स्कीम’ से प्रेरित है. इसे शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने शुरू किया था. वहां बीजेपी को जिताने में इस योजना का बड़ा हाथ बताया गया. ‘मुख्यमंत्री- मेरी लाडली बहन योजना’में लाभार्थियों को 1500 रुपये दिए जाने हैं. महाराष्ट्र में अब तक दो करोड़ लाभार्थियों को इसकी तीन किस्तों का भुगतान किया गया है. महायुति ने ऐलान किया है कि अगर वो सत्ता में लौटी तो 1500 रुपये की रकम बढ़ा कर 2100 रुपये कर दी जाएगी.

इसके जवाब में महा विकास अघाड़ी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की ‘महालक्ष्मी स्कीम’ की तर्ज पर महाराष्ट्र की महिलाओं को हर महीने 3000 रुपये देने और राज्य परिवहन निगम की बसों में बिना टिकट यात्रा की योजना पेश की. इसके अलावा एमवीए ने सरकार बनने की दशा में बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलने तक हर महीने 4000 रुपये देने का वादा किया है.

महाराष्ट्र में पिछले पांच साल में जाति की राजनीति ने सिर उठाया है. मराठा आरक्षण को लेकर शुरू हुए इस बदलाव ने  महाराष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने पर गहरा असर डाला है. इसने महाराष्ट्र की सोशल इंजीनियरिंग में बदल दी है. मराठा समुदाय आरक्षण की मांग कर रहा है. उसकी मांग है कि उसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे के तहत आरक्षण दिया जाए. इसका ओबीसी के नेता विरोध कर रहे हैं. इसने महाराष्ट्र के ग्रामीण समाज में गहरा विभाजन पैदा कर दिया है. मराठा समुदाय की महाराष्ट्र की जनसंख्या में हिस्सेदारी 30 फीसदी से अधिक बताई जाती है. कांग्रेस और महायुति की ओर से इस समुदाय को आरक्षण देने की दो कोशिशों को अदालत नाकाम कर चुका है. इस चुनाव में यह मुद्दा बड़ा रोल निभा सकता है.

झारखंड में किसकी बनेगी सरकार

झारखंड में मुख्य मुकाबला इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच है. महागठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के अलावा कांग्रेस, राजद और वाम दल शामिल हैं. वहीं बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में आल झारखंड यूनियन (आजसू) जेडीयू और चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी शामिल है. इस चुनाव में राजनीतिक विश्लेषकों की नजर इंडिया गठबंधन और एनडीए के अलावा झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) पर भी लगी हुई है. जेएलकेएम ने लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में वोट अपने खाते में किए थे. लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली थी.जेएलकेएम 71 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ रहा है. पार्टी के प्रमुख जयराम महतो खुद दो सीटों बोकारो के बेरमो और गिरडीह के डुमरी से चुनाव लड़ रहे हैं. 

झारखंड की 81 सदस्यों वाली विधानसभा में 2019 के चुनाव में जेएमएम को 30, कांग्रेस को 16, आरजेडी और सीपीआई (एमएल) को एक-एक सीटें मिली थीं. इस गठबंधन ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. वहीं बीजेपी को 25 सीटें मिली थीं. इस चुनाव में जेएमएम ने सबसे बढ़िया प्रदर्शन संथाल परगना और कोल्हान में किया था. इन दोनों इलाकों की 32 सीटों में से बीजेपी केवल तीन सीट ही जीत पाई थी. बीजेपी कोल्हान में अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. ऐसे में इस चुनाव में लोगों का विशेष ध्यान राज्य की इन 32 सीटों पर लगा हुआ है. कोल्हान को जीतने के लिए बीजेपी ने इस बार काफी पसीना बहाया है. उसने कोल्हान जीतने के लिए जेएमएम के वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन को अपने शामिल कराया है. वे कोल्हान टाइगर के नाम से जाने जाते हैं. 

झारखंड में इस चुनाव में कौन से मुद्दे छाए रहे

इस बार के चुनाव में घुसपैठ का मुद्दा अंत तक छाया रहा. बीजेपी ने संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों की वजह से डेमोग्राफी चेंज को मुद्दा बनाकर महागठबंधन की सरकार घेरने की कोशिश की. वहीं जेएमएम के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने हेमंत की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ कार्रवाई को मुद्दा बनाकर आदिवासी अस्मिता को मुद्दा बनाया. आदिवासियों के सरना धर्म कोड पर भी दोनों गठबंधनों ने जमकर राजनीति की. देश में महिला वोटर को लुभाने के लिए शुरू की गई पैसे देने की योजनाओं के क्रम में झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार भी ‘मइयां सम्मान योजना’लेकर आई. पहले इस योजना के तहत लाभार्थी महिलाओं को एक हजार रुपये दिए जाते थे. लेकिन हेमंत सोरेन सरकार ने इसे बढ़ाकर ढाई हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया है. इसके अलावा बीजेपी ने आरक्षण के नाम पर कांग्रेस को घेरने की कोशिश की. बीजेपी ने आरोप लगाया कि एससी-एसटी आरक्षण में कांग्रेस मुसलमानों को शामिल करना चाह रही है.

इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कंटेंगे’ का नारा दिया. इस नारे की गूंज महाराष्ट्र और झारखंड में सुनाई दी. हालांकि महाराष्ट्र में इसका बीजेपी नेता पंकजा मुंडे समेत अजित पवार और एकनाथ शिंदे की पार्टी ने विरोध किया. इसके बाद बीजेपी की ओर से ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा उछाला गया. इस नारे को किसी और ने नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही आगे किया. हालांकि इसके बाद भी योगी आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कंटेंगे’का साथ नहीं छोड़ा.

रुपये जब्त करने का बना रिकॉर्ड
चुनाव आयोग ने झारखंड और महाराष्ट्र में चुनावों में धन, मादक पदार्थों और अन्य प्रलोभनों से निष्पक्ष चुनाव को प्रभावित करने वालों पर निगरानी रखी. 15 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव और उप-चुनावों की घोषणा के बाद आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई थी. इसके बाद से चुनाव आयोग ने कुल 1139 करोड़ का रुपये जब्त किए. इनमें से 914.18 करोड़ रुपये झारखंड और महाराष्ट्र से जब्त किए गए. आयोग के मुताबिक दोनों राज्यों में यह जब्ती 2019 के चुनाव की तुलना में साढ़े सात गुना अधिक है.




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